आप जब भी भाफिटेसं आयें, वर्ष 2001 में भाफिटेसं परिसर में स्थापित प्रभात म्यूजियम जरूर जायें। परिसर में मौजूदा गतिविधियों के अलावा, सन् 1931 में स्थापित प्रभात फ़िल्म कम्पनी की विरासत को उसके स्थापना काल से अनुभव किया जा सकता है। यह म्यूजियम ऐतिहासिक प्रभात स्टूडियो के मूल भवन में स्थापित है, जो कि 1000 वर्गफीट क्षेत्र में फैला हुआ है। यह 4 भागों में बांटा हुआ है।
प्रभात म्यूजियम में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कलाकृत्तियां, परिधान, सम्पत्तियां, उपकरण मौजूद हैं, जिनका उपयोग विभिन्न प्रभात फ़िल्मों जैसे चंद्रसेना (मूकपट 1930), अग्नि कंकण (1932), सैरन्ध्री (1933), अमृत मंथन (1934), धर्मात्मा (1935), संत तुकाराम (1936), कुंकु (1937), संत ज्ञानेश्वर (1940), पड़ोसी (1941) इत्यादि में किया गया था।
इसके संभाग-1 में रसोई, संगीत उपकरणों, युद्ध के लिए हथियारों, विभिन्न प्रकार के आभूषणों, लेखन सामग्रियों इत्यादि को दर्शाया गया है।
संभाग-2 में विभिन्न प्रभात फ़िल्मों में उपयोग की गई धातु की प्राचीन कलाकृत्तियों एवं परिधानों को दर्शाया गया है। यहां आनेवाले स्वतंत्रता पूर्व के भारत के महाराष्ट्र के सांस्कृतिक एवं सामाजिक-आर्थिक माहौल का अनुभव एवं कल्पना कर सकते हैं।
संभाग-3 प्रभात फ़िल्म के फ़िल्मी पोस्टरों के प्रति समर्पित हैं तथा पिक्चर गैलरी का प्रभात फ़िल्म का अभिलेखीय महत्व है। लेकिन, इस संभाग का मुख्य आकर्षण प्रभात फ़िल्म कम्पनी की 1931 में स्थापना की गई थी, तब के अनुबंध एवं साझेदारी डीड के मूल वैधानिक दस्तावेज हैं।
संभाग-4 में विभिन्न प्रकार की विशाल प्राचीन कलाकृत्तियों को प्रदर्शित किया गया है। इसमें संगीत उपकरण, लकड़ी की पालकी, खम्भे, शीशे एवं धातु की सामग्रियां इत्यादि शामिल हैं।
वर्तमान में प्रभात म्यूजियम आम लोगों के लिए प्रतिदिन सायं 3 बजे से सायं 5.30 बजे तक खुला रहता है। म्यूजियम में प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिकों के लिए 50/- रुपये तथा विदेशी नागरिकों के लिए 250/- रुपये है। इसके साथ ही कोई भी तस्वीरें खींच या वीडियो बना सकता है, जिसमें तस्वीर खिंचने के लिए 100/- रुपये तथा वीडियो बनाने के लिए 500/- रुपये का शुल्क लगता है।