बैलेंसिंग द विज़डम ट्री - एन एन्थोलॉजी औफ़ एफ़टीआईआई'ज़ विमेन अल्युमनाई
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह
भाफ़िटेसं की छह दशकों की पूर्व छात्राओं का समारोह
साठ के दशक के प्रारंभ में स्थापित एक प्रमुख फ़िल्म शिक्षण संस्थान के रूप में, भाफ़िटेसं के पास देश के कुछ सबसे विभिन्न और विविध कहानीकारों के निर्माण का परिपूर्ण रिकॉर्ड है । इसमें पूर्व महिला छात्राएँ शामिल हैं, जिन्होंने नए क्षेत्रों में प्रवेश किया है और फ़िल्म निर्माण में अग्रणी के रूप में, अन्वेषकों और सृजनकारों के रूप में योगदान दिया है । इन पूर्व छात्राओं के विविध करियर भी फ़िल्म और टेलीविज़न उद्योग के विकास से मिलते-जुलते हैं ।
भाफ़िटेसं में विशेषज्ञताओं जैसे निर्देशन, पटकथा लेखन, छायांकन, ध्वनि रिकॉर्डिंग, निर्माण संरचना, अभिनय और निर्माण, में प्रशिक्षित पूर्व छात्राओं की प्रेरणाओं, चुनौतियों और उपलब्धियों को स्वीकार करना और उनका उत्सव मनाने का लिए भाफ़िटेसं ने प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से 'बैलेंसिंग द विज़डम ट्री - एन एन्थोलॉजी औफ़ एफ़टीआईआई'ज़ विमेन अल्युमनाई' नामक शीर्षक से यह संकलन बनाया ।
प्रख्यात फ़िल्म निर्माता और भाफ़िटेसं की पूर्व छात्रा अरुणाराजे पाटिल ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के भाग के रूप में पुस्तक का विमोचन किया । पुस्तक की संपादक गौरी दुर्गा चक्रवर्ती और तीन अन्य पूर्व छात्राएँ - रीना मोहन, गिसी माइकल और डोरोथी वर्मा, पुस्तक विमोचन के समय उपस्थित रहीं ।
पुस्तक में तीन खंड हैं, जिनमें पूर्व छात्राओं के बीच परस्पर संवाद, व्यक्तिगत अभिव्यक्ति सम्मिलित हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें 503 महिलाओं के कामों का विवरण है, जिन्होंने 1965-2016 के बीच भाफ़िटेसं से स्नातक किया था । पाठकों को, 1966 में पहली महिला स्नातक पार्वती मेनन से निर्देशक पायल कपाड़िया, जिन्हें 2021 में कान्स में सम्मानित किया गया था, से फ़िल्म में प्रशिक्षण के पीछे की प्रेरणाओं को जानने का अवसर मिलेगा । सिनेमा पर इससे पूर्व किसी भी प्रकाशन में महिला फ़िल्म निर्माताओं के अनुभवों को साझा करने की सीमा अनपेक्षित है ।
पुस्तक विमोचन के दौरान, सुश्री अरुणाराजे पाटिल ने अपनी पूर्व छात्राओं की उपलब्धियों के उल्लेख का आवश्यकता पर ज़ोर दिया । डीजी, पीआईबी (पूर्वी क्षेत्र) श्री भूपेंद्र कैंथोला ने इस प्रकाशन को प्रकाशित करने में भाफ़िटेसं और प्रकाशन विभाग के सामूहिक प्रयासों को बधाई दी । पुस्तक विमोचन के अवसर पर भाफ़िटेसं के कुलसचिव श्री सईद रबीहश्मि और सहयोगी प्राध्यापक श्री विक्रम वर्मा भी उपस्थित थे ।
मानव कहानियों के संग्रह में बड़े पैमाने पर लिंग प्रवचन की बराबरी करने के लिए बहुत आवश्यक ध्यान और महत्व दिया गया है । इसलिए, यह भी महत्वपूर्ण है कि अभ्यासी और शोधकर्ता दोनों ही इस अग्रणी संकलन की विषय-वस्तु में शामिल हों । यह पुस्तक, विचार को लैंगिक असमानता से ऊपर उठने और लिंग संतुलन बनाने की दिशा में प्रेरित करती है - और इसलिए शीर्षक 'बैलेंसिंग द विज़डम ट्री' नाम रखा गया है। इस देश में मीडिया और मनोरंजन के विकास के साथ यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक कहानियाँ सामने आएँगी और विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाने के लिए महिला कहानीकारों और व्यवसायिकों का प्रशिक्षण महत्वपूर्ण होगा । भाफ़िटेसं इस तरह के प्रशिक्षण के लिए पोषण का स्थान रहा है । यह संग्रह भविष्य की युवा महिला उम्मीदवारों को अतीत में अपनी बिरादरी की चुनौतियों, जिम्मेदारियों और उपलब्धियों के बारे में जागरूक करने के लिए एक सहयोगी मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेगा ।