भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान कान्स को भारत में लेकर आया ।
“सनफ्लावर्स वर द फर्स्ट वन्स टू नो”- भा.फ़ि.टे.सं. छात्र की फ़िल्म ने 77वें कान्स फ़िल्म समारोह में 'ला सिनेएफ' पुरस्कार जीता
श्री चिदानंद नाईक (निर्देशक) और उनकी टीम द्वारा भा.फ़ि.टे.सं. के वर्षान्त समाप्ति में बनाई गई समन्वित अभ्यास फ़िल्म ने कान्स में अपनी चमक बिखेरी।
'75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो' में से एक और 2022 बैच के भा.फ़ि.टे.सं. छात्र ने कान्स में भारत को गौरवान्वित किया ।
भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान (भा.फ़ि.टे.सं.) के छात्र श्री चिदानंद नाईक की पाठ्यक्रम समाप्ति की फ़िल्म “सनफ्लावर्स वर द फर्स्ट वन्स टू नो” को 77वें कान्स फ़िल्म समारोह, फ्रांस में सर्वश्रेष्ठ लघु फ़िल्म के लिए कान्स का ला सिनेएफ पुरस्कार प्रदान किया गया । 23 मई 2024 को समारोह में विजेता की आधिकारिक घोषणा की गई थी जिसमें छात्र निर्देशक श्री चिदानंद नाईक ने पुरस्कार प्राप्त किया।
भारतीय सिनेमा के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। भारतीय फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिल रही है, विशेष रूप से भा.फ़ि.टे.सं.ने पिछले कुछ वर्षों में समारोह में अपने छात्रों की फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ कान्स में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। 73 वें कान्स में भा.फ़ि.टे.सं. के अन्य छात्र की फ़िल्म 'कैटडॉग' ने पुरस्कार जीता था, उसके चार वर्ष पश्चात् ऐसा हुआ है। 77वें कान्स फ़िल्म समारोह में विभिन्न श्रेणियों में भारत से कई प्रविष्टियां प्राप्त हुई । भा.फ़ि.टे.सं. के कई पूर्व छात्रों जैसे पायल कपाड़िया, मैसम अली, संतोष सिवन, चिदानंद एस नाईक और उनकी टीम को इस वर्ष के कान्स में पहचान प्राप्त हुई।
भा.फ़ि.टे.सं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। संस्थान केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता से सोसाइटी के रूप में कार्य करता है। भा.फ़ि.टे.सं. के अध्यक्ष श्री आर. माधवन ने फ़िल्म के छात्रों की पूरी युनिट को बधाई दी । उन्होंने कहा, "श्री चिदानंद नाईक और “सनफ्लावर्स वर द फर्स्ट वन्स टू नो” की पूरी टीम को इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए बधाई ! आशा है कि यह कई और असाधारण सम्मान और स्नेह के साथ एक शानदार कैरियर की शुरुआत हो। साथ ही इस तरह की विश्व स्तरीय प्रतिभा को तराशने के लिए भा.फ़ि.टे.सं. के सभी कर्मचारियों और प्रशासन को बहुत बधाई और आदर ।
'ला सिनेएफ' समारोह का आधिकारिक विभाग है जिसका उद्देश्य नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना और विश्व के फ़िल्म स्कूलों की फ़िल्मों को पहचान दिलाना है । यह फ़िल्म विश्व के 555 फ़िल्म स्कूलों द्वारा प्रस्तुत कुल 2,263 फ़िल्मों में से चयनित 18 लघुफ़िल्मों (14 लाइव-एक्शन और 4 एनिमेटेड फिल्मों) में से एक है ।
“सनफ्लावर्स वर द फर्स्ट वन्स टू नो” फ़िल्म एक बुजुर्ग महिला की कहानी है जो गांव के मुर्गे को चुराती है, जिससे समुदाय में उलट पलट हो जाता है। मुर्गा वापस लाने के लिए, एक भविष्यवाणी की जाती है जिससे बूढ़ी औरत के परिवार को निर्वासित किया जाता है।
भाफ़िटेसं के टीवी स्कन्ध के एक वर्षीय कार्यक्रम में इस फ़िल्म का निर्माण हुआ है, जहां वर्षान्त समन्वित अभ्यास के रूप में विभिन्न विधाओं अर्थात निर्देशन, इलेक्ट्रॉनिक चलचित्रांकन, संपादन, ध्वनि के चार छात्रों ने एक प्रोजेक्ट के लिए मिलकर कार्य करते हैं। चिदानंद एस नाईक ने फ़िल्म का निर्देशन, सूरज ठाकुर ने फ़िल्म का चित्रांकन, मनोज वी ने फ़िल्म का संपादन किया है और अभिषेक कदम ने ध्वनि का कार्य किया । इन छात्रों ने अपने वर्षान्त के समन्वित अभ्यास के हिस्से के रूप में फ़िल्म पर काम किया और 2023 में भा.फ़ि.टे.सं. से उत्तीर्ण हुए।
ऐसा पहली बार हुआ है जब भा.फ़ि.टे.सं. के 1 वर्षीय टेलीविजन पाठ्यक्रम के किसी छात्र की फ़िल्म को प्रतिष्ठित कान्स फ़िल्म समारोह में चुना गया और जीता गया । 2022 में भा.फ़ि.टे.सं. में शामिल होने से पहले, चिदानंद एस नाईक को 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह (आई एफ एफ आई ) में 75 क्रिएटिव माइंड्स में से एक के रूप में भी चुना गया था, जो सिनेमा के क्षेत्र में नवोदित युवा कलाकारों को सम्मानित करने और उनको प्रोत्साहित करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय की एक पहल है।
भाफिटेसं की अनूठी शिक्षणशास्त्र और सिनेमा और टेलीविज़न के क्षेत्र में शिक्षा के लिए अभ्यास आधारित सह-शिक्षण दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने के परिणामस्वरूप संस्थान के छात्रों और इसके पूर्व छात्रों ने वर्षों से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में प्रशंसा प्राप्त की है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की प्राप्ति भारतीय सिनेमा के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान विश्व के सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म स्कूलों में से एक है और इसने आज भारत को गौरवान्वित किया है।
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