पुणे को 'क्विन ऑफ डेक्कन' के रूप में जाना जाता है। यह अपने कई शैक्षिक संस्थानों और नौ विश्वविद्यालयों के साथ 'पूर्व के ऑक्सफोर्ड' के रूप में उभरा है, जिनमें से कई 19वीं शताब्दी से परिचालित हैं। यह शहर भारतीय फ़िल्म एवं टेलिविजन संस्थान के अतिरिक्त राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी), राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय (एनएफएआई), राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला (एनसीएल), अस्ट्रोनोमी और अस्ट्रोफिजिक्स के लिए अंतर्विश्वविद्यालयीन केंद्र (आयुका), राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (एनआईवी), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएस) आदि और अन्य कई संस्थानों का ठिकाना है। यह शहर भाषा अध्ययन की विस्तृत श्रृंखलाओं का भी केंद्र है। पुणे में विशाल और जीवंत विद्यार्थी समुदाय की उपस्थिति उसकी सड़कों पर देखा जा सकता है, जो कि एक विश्वविद्यालय शहर के रूप में उसकी पहचान को मजबूत करता है।
पुणे एक पुराना एवं ऐतिहासिक रूप से समृद्ध सुन्दर शहर है। यहां चट्टानों की गुफा में प्रसिद्ध पताकेश्वर मंदिर है, जो कि 8 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर शासन करने वाले राष्ट्रकूट वंश के युग का है, सिंहगढ़ किला (अनुमानित 2000 वर्षीय), 16 वीं सदी के शनिवार वाड़ा के अवशेष, 16वीं सदी की शुरुआत में ही निर्मित लाल महल, सन् 1992 में निर्मित आगा खान पैलेस है। इस शहर में कई संग्रहालय जैसे कि राजा दिनकर केल्कर के व्यक्तिगत संग्रह, एक जनजातीय संग्रहालय और एक रेलवे संग्रहालय है। इसी तरह, शहर के कुछ वनस्पति-जीव जैसे हनुमान टेकड़ी (भाफिटेसं के पिछवाड़े में), वेताल टेकडी और तकजाई वन प्रकृति प्रेमियों के लिए काफी आकर्षक हैं।
पुणे की संस्कृति
पुणे को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है। पुणे में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और मराठी रंगमंच की एक सुदृढ़ परंपरा है। यह कई प्रसिद्ध संगीत मास्टर्स का ठिकाना रहा है, जिसमें स्व. पंडित भीमसेन जोशी, पंडित उदय भवालकर, प्रभा अत्रे, स्व. डॉ. वीणा सहस्त्रबुद्धे, पंडित सुरेश तकवलकर आदि शामिल हैं।
पुणे स्वदेशी मराठी संस्कृति और लोकाचार का अनुपम उदाहरण है, जिसमें शिक्षा, कला और शिल्प तथा थिएटर को प्रमुखता दी जाती है। यह लेखक कवि संत तुकाराम (देहू में) एवं ज्ञानेश्वर (आलंदी में), जो कि "भगवद् गीता" पर जानी-मानी टिप्पणी 'ज्ञानेश्वरी' के लेखक हैं, का जन्म स्थान है। यह बाल गंगाधर तिलक, आगरकर एवं गोपाल कृष्ण गोखले जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों का गृह है। प्रसिद्ध समकालीन वैज्ञानिक जयंत नारलीकर पुणे से हैं। पुणे उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी स्थान है। यह प्रति वर्ष दिसंबर के महीने में "सवाईं-गंधर्व" नामक कंठ संगीत एवं वाद्य शास्त्रीय संगीत के त्रि-रात्रि सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करता है। पुणे आधुनिकता और इसके दुष्प्रभावों के साथ संस्कृति और विरासत के अनूठे मिश्रण का एक उदाहरण रहा है। पुणे महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी है।
पुणे उद्योग
इस शहर में उद्योग-धंधों ने महत्वपूर्ण विकास किया है। पुणे में ऑटोमोबाइल उद्योग के तेजी से बढ़ते कदम ने इसे 'भारत के डेट्रॉइट' की संज्ञा दी है। इसके साथ ही यह सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) के हब के रूप में विकसित हुआ है। यह पत्थरों से बनें अग्र भाग (फसाड) एवं टाइल-रूफ वाले कॉटेज के साथ अपने छोटे शहर की अनोखी सुगंध को कायम रखने में सफल रहा है। यहां असंख्यक पुरानी एवं बेकरियां एवं रेस्तरां इसकी इसे अलग पहचान देते हैं।
पुणे का मौसम
पुणे दख्खन पठार के किनारे समुद्र तल से 560 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह शहर पहाड़ियों से घिरा है, जो इसके मौसम को शुष्क सुहाना बनाते हैं। यहां जून के महीने में मानसून आता है और जुलाई एवं अगस्त के महीनों में अधिकतम बारिश होती है। हालांकि, यहां गर्मी का मौसम छोटा है। अप्रैल और मई के महीने सबसे गर्म महीने हैं। इन महीनों में अधिकतम तापमान 40°C तक पहुंच जाता है। पुणे में जब सबसे अधिक गर्मी होती है, उस समय भी अपनी ऊंचाई एवं चट्टान भरे क्षेत्र के कारण यहां की रातें ठंडी होती हैं। दिसम्बर और जनवरी के महीने सबसे अधिक ठंडे महीने हैं। इस समय यहां का तापमान गिरकर 11°C तक पहुंच जाता है।
पुणे के खेल
पुणे का खेल-कूद के साथ खास नाता है। यहां अधिकांश क्लब खेल-कूद को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। पुणे के बालेवाड़ी में स्थित श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स देश के सबसे अत्याधुनिक क्रीड़ा आधारभूत ढांचे में से एक है।
पुणे का भोजन
पेशवाओं की धरती पुणे ने अपने पारंपरिक व्यंजनों को बरकरार रखा है और पुणे के एक विशेष भोजन में पूरण पोली (दाल के साथ एक मीठा पराठा), आमटी (मसाला दाल), पिठले भाकरी (बेसन से बने एक मसालेदार-रसेदार व्यंजन के साथ एक कड़ी 'रोटी' ), वरण भात (दाल और चावल), मटकी की उसल (मसाला अंकुरित), थाली पीठ (एक मसालेदार बेसन आधारित चिल्ला) और आलू ची भाजी (उबले और तले हुआ, मीठे एवं 'मसालेदार पत्ते) आदि शामिल है। इसके साथ ही बाकर भाजी (मसालेदार स्वादिष्ट सब्जी) और मिसल पाव (प्याज, मिर्च और छोटी स्वादिष्ट सामग्रियों का मसालेदार मिश्रण, ब्रेड के साथ) सबसे अधिक मजेदार स्नैक्स हैं। जिन्हें मिठाइयां पसंद हैं, उनके लिए पुणे अपने श्रीखंड (गर्म किए गए दूध के व्यंजन) और मौसमी आमरस पुड़ी (तली हुई 'पुड़ियों' के साथ आम का मोटा रस) महाराष्ट्र के पारंपरिक व्यंजन को पूरा करते हैं।
पुणे के त्यौहार
पुणे में धर्म एवं भाषा के बंधन से ऊपर उठकर दीपावली, जन्माष्टमी, नवरात्रि, दशहरा, होली, रक्षाबंधन, क्रिसमस, ईद इत्यादि जैसे सभी भारतीय त्यौहारों को बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इन सबके बीच पुणे गणेश पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
पुणे में परिवहन
महाराष्ट्र का यह जिला सड़क और रेल मार्ग से राज्य की राजधानी और आसपास के जिला मुख्यालयों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सड़क नेटवर्क में एक्सप्रेस राजमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग और मुख्य जिला सड़कें शामिल हैं। रेल नेटवर्क में ब्रॉड गेज (विद्युतीकृत और गैर विद्युतीकृत) डबल ट्रैक के साथ-साथ एकल ट्रैक लाइन दोनों शामिल हैं। जिला मुख्यालय की परिवहन और व्यापार के लिए वायुमार्ग से देश के प्रमुख हवाईअड्डों और चयनीत अंतरराष्ट्रीय स्थलों के लिए उड़ाने उपलब्ध हैं। बारहमासी नदी की विस्तृत उपलब्धता के बावजूद, जिले में जलमार्गों का कोई महत्वपूर्ण उपयोग नहीं है।